मां को मिलने आई बेटी ने कहा: मुश्किलें ही मुश्किलें हैं, एक समाधान करती हूं तो तीन और आकर खड़ी हो जाती हैं, समझ नहीं आती क्या करूं?
मां ने तीन छोटे बर्तन लिए, उनको आधा-आधा पानी से भर लिया| एक में गाजर, दूसरी में अंडे और तीसरी में चाय पत्ती डाल दी| इन सब को आग पर 20 मिनट तब उबाला और फिर नीचे उतार दिए| बेटी को कहा: हाथ लगा कर देखो, गाजर सख्त थे, अब नरम हो गई थी, अंडे टूटने वाली हालत में थे अब सख्त हो गए थे, चाय पत्ती ने पानी का रंग बदल दिया है|
इन तीनों ने पानी के उबलने की एक ही मुसीबत बरदाश्त की है| जो सख्त था बह नरम हो गया है, जो टूटने वाला था मैं सख्त हो गया है, जिसका अस्तित्व छुपा हुआ था, वह प्रकट हो गया है|
एक मुसीबत हर किसी पर एक जैसा असर नहीं करती, हमारे ऊपर निर्भर करता है के वह मुसीबत हमारे ऊपर क्या असर डालती है|
अगर सख्त हो तो नरम हो जाओ, अगर टूटने वाले हो तो सख्त हो जाओ अगर कोई समाधान नहीं मिल रहा तुम मुसीबत में घुल जाओ|
नरेंद्र सिंह कपूर