मेरी बेटी की शादी है| सभी रिश्तेदार पहुंच गए हैं| सभी रिश्तेदारों की जबान पर एक ही बात है| लड़की का” चाचा क्यों नहीं आया?” वह रूठा हुआ है|” मैं कहती हूं| रूठा है तो रूठा ही रहने दो| लड़की की शादी है तो फिर इतनी अकड़ क्यों? अपने आप ही आ जाना चाहिए था| सभी रिश्तेदार बोलने लगे|
तभी उस वक्त मुझे एक बहुत पुरानी बात याद आ गई| दुल्हन बनने जा रही थी| मेरे मामा जी सात वाले गांव में रहते थे, शादी में नहीं आए| मेरी मां ने मुझे बोला “भैया गुस्से हैं|” हम उन्हें अभी मना कर ले आते हैं| 5-6 रिश्तेदार मामा जी के गांव चले गए|
” तुम आए नहीं शादी पर| हम तुम्हें लेने आए हैं तुम्हारे बगैर यह शादी नहीं होगी| चलो-चलो जल्दी हमारे साथ चलो|” धक्के से उसको गले लगा कर साथ ले आए, रूठे हुए मान गए थे| लड़की की शादी हो गई| वह अपने घर चली गई परंतु मेरी बेटी को अफसोस उम्र भर रहा के उसके चाचा उसकी शादी में नहीं आए|
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