कबूतरों का सरदार मौत की कगार पर था। वह चिंतित था कि उसकी मृत्यु के बाद उसके बाद इनका क्या होगा, क्योंकि उन कबूतरों में कोई नेता बनने में सक्षम नहीं था। उसने बहुत सोचा और आखिर में सभी कबूतरों को बुलाया और उन्हें समझाया | यदि आप एक-दूसरे के करीब रहते हैं, तो आपको किसी भी राजकुमार की आवश्यकता नहीं होगी लेकिन यदि तुम्हे जरूरत पड़ती हैं, तो सरदार को अपने समुदाय से चुनना चाहिए। किसी भी अन्य समुदाय के व्यक्ति को कोई रहस्य प्रकट न करें, न ही उसे अपने झगड़े में जोड़ें। हर किसी ने अपने सिर हिलाकर हाँ कर दी। सरदार की मृत्यु हो गई।अभी सरदार को मरे दस दिन दिन ही नहीं हुए थे की कबूतरों ने सरदार की गद्दी के लिए आपसे में लड़ना शुरू कर दिया । धीरे धीरे इनकी लड़ाई की खबर कौवे तक पहुँच गयी । कौवे ने एक योजना बनाई । धीरे धीरे कुछ कौवे ने कबूतरों को भड़का कर दो धड़ो में बाँट दिया और फिर उनके दिल में यह बात भर दी गयी के अगर कबूतरों का प्रधान किसी कबूतर को न बना कर किसी कौवे को बनाया जाये तो लड़ाई का कोई कारन नहीं रहेगा ।
कबूतर के दोनों समूह सहमत हुए। कुछ पुराने कबूतर सरदार के अंतिम शब्दों को याद दिलाना चाहते थे, लेकिन उन्हें धमका कर चुप करा दिया गया। अब कबूतरों का नेता कौव बन गया था। कौआ ने कुछ तकड़े काब्बोतेर अपने साथ मिला लिए और अपनी मन आयी चलाने लगा । उन्होंने कौवे विभिन्न विभागों दे दिए और पूरी तरह से सत्ता पे कबाज़ हो गया । उसने कबूतरों पर जुलम करने शुरू कर दिए । अब कबूतर कावों के पूरी तरह से गुलाम बन चुके थे और उन्हें कच समझ नहीं आ रहा था के कावों से पीछा कैसे छोड़या जाये । आखिर सब ने मिलकर यह फैसला लिया के पड़ोसी राज के बाज़ों से मदद मांगने जायेगे । बाज़ों के सरदार ने मदद का पूरा भरोसा दिया और कबूतर अपने घर वापिस चले गए ।
कुछ ही महीनो के बाद कबूतरों के टोले पर कावों का नमो निशान मिट गया और अब कबूतरों पर बाज़ राज़ कर रहे थे और कबूतर सोच रहे थे की अब किससे मदद की जाये ।