बेटे के स्कूल से कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए अंग्रेज़ी में पत्र मिला | मैंने डायरी पर पंजाबी में हस्ताक्षर कर अपनी पत्नी को पकड़ा दिया | वह चीख उठी और बोली , “ यह क्या जलूस निकाल दिया , पंजाबी में हस्ताक्षर कर दिए , मालूम है अपने बेटे की बेइज्जती होगी |” उसने छट से मेरे हस्ताक्षर काट कर अपने
हस्ताक्षर अंग्रेज़ी कर दिए | में सोचने लग गया के जलूस हमारा नहीं , हम सब अपने आप अपनी मात्र भाषा
पंजाबी का निकलने पर तुले हैं |
Gurwinder
आज तेज कौर ने अपनी छोटी बहु को शहर डॉक्टर के पास लेकर जाना था इस लिए उसने सुबह-सुबह ही रसोई का कार्य निपटा लिया था | वह दोनों तैयार होकर शहर जाने की लिए गांव से बाहर बने बस स्टॉप पर पहुंच कर बस की राह देखने लगी | उनके देखते ही बस भी वहां पर आ गई | बड़ा व्: भारी शरीर होने के कारण तेज कौर अपनी बहु का सहारा लेकर मुश्किल से बस में चड़ पाई और यहाँ वहां बैठने के लिए देखने लगी किन्तु स्कूल-कालेज का समय होने के कारण बस बच्चों से भरी पड़ी थी | तेज कौर ने दो लड़कों को उसके बुढ़ापे के कारण बैठने के लिए सीट छोड़ने के लिए कहा , पर लड़के अपने फोन में व्यस्त थे और सीट छोड़ने के लिए तयार नहीं थे |
यह सब द्रश्य पीछे की सीट पर बेठी एक नौजवान लड़की देख रही थी जिसने अपने हाथों में एक बच्चे को पकड़ रखा था , वह अपनी सीट से खड़ी हुई और बोली , “ माँ जी यहाँ पर बैठ जाओ ” लड़की को सीट से खड़ा होते देखकर तेज कौर भावुक हो गई और बोली , “ सदा खुश रहो बेटी मुझे अब शहर जाने की कोई जरूरत नहीं है , में तो लड़के के लालच में अपनी बहु के पेट में पल रही लड़की को गिरवाने डॉक्टर के पास जा रही थी , परन्तु तुमने मेरे आंखे खोल दी ” यह कहती तेज कौर अपनी बहु को लेकर बस में से उतर गई , कन्डक्टर ने सिटी बजाई और पलों में ही मिटटी उड़ाती बस उनकी आंखों से ओझल हो गई |
पेरों की आवाज़ सुनते ही गहरी नींद में पड़ी बलविंदर कौर की आँख खुल गई | गली में से खिड़की के माध्यम से आ रही सिटी की शी-शी की आवाज़ ने उसके दिल की धड़कन पहले से भी तेज कर दी थी | जब उसने अपने कम्बल की थोडा सा सरका क्र देखा तो रात के पौनेह बारह बज रहे थे और सिमरन दबे पाँव दरवाजे की तरफ़ जा रही थी | शक तो उसे पिछले कई दिनों से था जब से सिमरन जब दूध गर्म होता था , अपना दूध का गिलास भर के पतीले में से पहले ही निकल लेती थी , लेकिन इतने लाड-प्यार से बड़ी की और सबसे प्यार लेने वाली पड़ी-लिखी बेटी पर बिना किसे कारन एक माँ ऊँगली कैसे उठा सकती थी |
आज रात बलवीर कौर ने सिमरन से बचा कर दूध का गिलास अलमारी के सबसे उपर वाले रखने में रख् दिया था और एक खाली गिलास में थोडा सा दूध घुमा कर सिमरन की बर्तन थोने के लिए दे दिया था |
कांपते होठो से बलबीर कौर सिमरन की बोलने लगी ,
“ बेटी , रुक जा !! ना मेरी इज्ज़त का फलूदा कर , किस लिए अपनी माँ को मारने पर तुरी हैं तूं ? ”
यह सुनते ही सिमरन ने पांव के निचे से ज़मीं खिसक गई , और वह कांपते होठो से बोली ,
“ माँ !! म . . म . . में तो बाथरूम . . ”
सिमरन के यह शब्द उसके हलक में ही अटक गये और बलवीर कौर ने अलमारी में से दूध का गिलास उठा लिया |
और उसकी आखों भर आई , और बोलने लगी ,
“ बेटी !! बस कर अब सफाई देने को, जो दूध मैंने तुम्हे चार साल पिलाया था उसकी इज्ज़त तो , तेरा यह दूध दो दिन में ही उछाल गया “
सेठ धनी राम के ढाबे पर एक ग्यारह साल का लड़का बर्तन मांज रहा था , तभी एक गाड़ी वहां पर रुकी जो के देखने में सरकारी गाड़ी लग रही थी , उसमें से एक सिपाही बाहर निकला और उसने सेठ को बोला , “ सेठ जी क्या आपको मालूम नहीं के बाल मजदूरी एक गुनाह है , यह उम्र तो बच्चों के हँसने-खेलने और पड़ाई करने की होती है . . . और तुम इन से बर्तन साफ करवा रहे हो . . . चलो साहब से जा कर मिलो .” सेठ ने गाड़ी में बैठे साहिब से बात की . . . कचहरी जाने से डरते . . . समय की नजाकत को समझते आंख बचा कर कुछ रुपए सिपाही की जेब में डाल दिए , और गाड़ी वहां से चल दी . . .
सेठ ने बच्चे को दाड़ते हुए बोला , “ चल निकल यहाँ से , खुद तो बच जायेगा और मुझे फसायेगा ”
बच्चा बोला , “ ठीक है सेठ जी, मेरा हिसाब करके मुझे मेरे पैसे दे दो , मुझको अपनी माँ की दवाई घर लेकर जानी है . . ”
“चल भाग यहाँ से , कोई रुपया-पैसा नहीं है मेरे पास ” . . यह बोल कर सेठ ने लड़के को ढाबे से बाहर निकाल दिया . . .
ज़ोर-ज़ोर से रोते हुए बच्चे को यह प्रतीत हुआ , मानो उसके हिस्से के पैसे “ गाड़ी वाला साहिब ” ले गया , जो उसके पड़ाई-लिखाई और हँसने-खेलने की उम्र की बातें कर रहा था . . .
शेख साडी फारसी का एक महान विद्वान था एक बार राजा ने उसे बुलाया। राजा की अदालत बहुत दूर थी, रात में, उसने एक अमीर आदमी के घर में आश्रय लिया।
साडी की पोशाक अच्छी नहीं थी, इसलिए अमीरों ने उसे अच्छा खाना नहीं दिया। लेकिन अगले दिन, अमीर घर छोड़ दिया और राजा की अदालत में गया।
राजा ने उसे बहुत सम्मान दिया और पहनने के लिए सुन्दर पहरावा दिया, शेख सादी ने उनमें से एक पहना।
फिर, उसने राजा की जगह से अपनी वापसी यात्रा शुरू की। दोबारा, फिर रात आयी, सादी ने उसी घर में शरण ली।
अब अच्छे कपड़े देखकर, अमीरों ने उन्हें अच्छा खाना दिया और बहुत सम्मान दिखाया। अब अब शेख सादी ने नहीं खाया । इसके बजाय, उसने वह अपनी जेब में डाल लियाऔर लोग आश्चर्यचकित हो गए। उन्होंने उससे इसके बारे में पूछा ।
शेख सादी ने उनसे कहा कि जब वह राजा के पास जा रहा था, तो उसने इस घर में आश्रय लिया था। लेकिन उस समय उसने अच्छे कपड़े नहीं पहने थे । इसलिए, वह इस भोजन के लिए उपयुक्त नहीं था, लेकिन इस पोशाक के लिए यह अच्छा खाना खाने का पात्र है, इसलिए वह यह कर रहा था।
मालिक और लोग अपने इन कर्मो के लिए शर्मिंदा थे। उन्होंने अनुरोध किया कि वह इसके लिए उन्हें क्षमा करें।
अक्सर मजाक हम मज़ाक उसका उड़ाते हैं जिसके साथ हम ईर्ष्या करते हैं। जैसा कि आप पाएंगे, सरदार के मज़ाक को पूरे देश में उपहासित किया गया है। इसके पीछे एक गहराई है। हम शासकों से ईर्ष्या रखते हैं। ईर्ष्या के कारण भी साफ है। सरदार हमारे से मजबूत है,बहादुर है। हर क्षेत्र में भारतीयों के आगे है। पूरे भारत सिखों के खिलाफ गहरी ईर्ष्या से भरा है। अगर हम सरदार के साथ खड़े हैं, तो हम बदला लेने के लिए असहज हैं, हम उपहास ले कर बदला लेते हैं। यह मजाक सिखों के लिए गहरी ईर्ष्या के कारण झूठ है। जैसे यहूदियों का पश्चिम में मज़ाक उड़ाया जाता है , उसके उनके पीछे कारण है। यहूदियों की प्रतिभा से बहुत ईर्ष्या है । जहां यहूदियों ने अपना पैर रखा, वहां पीछे हटना पड़ता है। जितने भी नोबेल पुरस्कार यहूदियों को मिले हैं , वे दुनिया में किसी को भी नहीं मिले । इस शताब्दी को प्रभावित करने जो तीन आदमी हैं वह तीनों यहूदी हैं। मार्कस, फ्राइड, और अल्बर्ट आइंस्टीन। मार्क्स ने आधा दुनिया प्रभावित किया, फ्रिडे ने सारे मनोविज्ञान पर कब्ज़ा कर लिया और आइंस्टीन ने तो विज्ञान पर कब्जा कर लिया। यहूदी जहाँ पैर रख दे तो सब को पराजित कर देता है । यहूदी के पास प्रतिभा है । इस प्रतिभा से बेचैनी होती है है। ईर्ष्या होती है । और हम मज़ाक से बदला लेते हैं । पूरे भारत में सिखों से ईर्ष्या है क्योंकि सिख का साहस हम से आगे है। हम मज़ाक उड़ा के उसे अपने स्तर पर ले जाना चाहते हैं।
शहर से राशन लेने गया तेजा सिंह कपड़े की हट्टी वाले अपने दोस्त सेठ मंगत राम के पास रुक गया | सोचा की चलो चाय पानी पी लेंगे और तब तक आसमान में छाया बादल भी छंट जाएगा |जब वह वहां पहुंचा तो देखा की सेठ अपने नौकर को कह रहा था,” छोटू सामान अंदर संभल दे जल्दी से, बादल बहुत छा गए हैं , कहीं पूरे दिन की मेहनत पर पानी ना फिर जाए “| दूकान के अंदर बैठा तेजा सिंह सोचने लगा ” सेठ तो पूरे दिन की मेहनत पर पानी फिरने के दर से सामान अंदर रख रहा है , मैं अपनी छः महीने की मेहनत किसके सर मडूँगा जो की खुले आसमान के नीचे पकी खड़ी है | वाह !ओ मेरे दाता, तभी तो कहा जाता है कि किसान कि कुदरत के साथ किसान का बहुत गहरा रिश्ता है, अब तो भगवान् तेरे हाथ में ही डोर है, चाहे रख ले, चाहे तोड़ ले “| मन ही मन यह सोचता हुआ तेजा सिंह बारिश की बूँदें रुकने पर अपने स्कूटर को चला के गांव की तरफ बढ़ गया |
मॉन्टी रॉबर्ट्स नाम का मेरा एक दोस्त है। उसका सैन सिडरो में घोड़ों का रैंच है। जब मुझे युवा कल्याण कार्यक्रमों में चंदा इकट्ठा करते समय सैन सिडरो में जगह की ज़रूरत पड़ी, तो मॉन्टी ने मुझे उस रैंच का इस्तेमाल करने दिया।
जब मैं पिछली बार वहाँ गया, तो उसने वहाँ उपस्थित लोगों के समूह को मेरा परिचय देते हुए कहा, “मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मैं जैक को अपने घर का इस्तेमाल क्यों करने देता हूँ। यह बहुत पुरानी बात है। एक छोटा लड़का था, जो घोड़ों के घुमंतू प्रशिक्षक का बेटा था। वह प्रशिक्षक इस अस्तबल से उस अस्तबल, इस रेस ट्रैक से उस रेस ट्रैक, इस खेत से उस खेत और इस रैंच से उस रैंच तक जाकर घोड़ों को प्रशिक्षित करता था। परिणाम यह हुआ कि उस लड़के के हाई स्कूल अक्सर बदलते रहे। जब वह सीनियर क्लास में पहुँचा, तो उससे एक निबंध लिखने को कहा गया कि वह बड़ा होकर क्या बनना और करना चाहता है।
“उस रात उस लड़के ने सात पेज का एक निबंध लिखा, जिसमें उसने बताया कि उसका लक्ष्य घोड़ों के रैंच का मालिक बनना है। उसने अपने सपने को पूरे विस्तार से लिखा और 200 एकड़ के रैंच की एक खींची, जिसमें उसने सभी इमारतों, अस्तबलों और ट्रैक की ड्राइंग बनाई । फिर उसने 4,००० वर्ग फुट के मकान की विस्तृत योजना खींची, जिसे वह 200 एकड़ के रेंच पर बनाना चाहता था।
उसने उस प्रोजेक्ट में अपना दिल खोलकर रख दिया और अगले अपने सपने के अनुरूप जिएँ 178 दिन टीचर को वह निबंध थमा दिया। दो दिन बाद उसे उसका । वापस मिल गया। सामने वाले पेज पर एक बड़ा लाल एफ (फेल) था। उसके नीचे लिखा था, ‘क्लास के बाद मुझसे मिलो।’
सपने देखने वाला लडका क्लास के बाद टीचर से मिलने . उसने पूछा, “आपने मुझे फ़ेल क्यों किया?’
“टीचर ने कहा, “तुम जैसे लड़के के लिए यह एक काल्पनिक सपना है। तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं। तुम खानाबदोश परिवार के हो। तुम्हारे पास संसाधन नहीं हैं। घोड़ों के कैंच का मालिक बनने के लिए बहुत पैसों की ज़रूरत होती है। तुम्हें ज़मीन खरीदनी पड़ेगी। तुम्हें घोड़े खरीदने पड़ेंगे, और इसके बाद घोड़ों की देखभाल के लिए काफ़ी महँगे सामान की ज़रूरत होगी। तुम यह काम किसी हालत में नहीं कर सकते।’ फिर टीचर ने आगे कहा, “अगर तुम इस निबंध को दोबारा लिख दो और कोई। यथार्थवादी लक्ष्य बना लो, तो मैं तुम्हारे ग्रेड पर विचार करने के लिए तैयार हैं। ‘
“वह लड़का घर गया और उसने इस बारे में काफ़ी देर तक सोचा। उसने अपने पिता से पूछा कि उसे क्या करना चाहिए। उसके पिता ने कहा, “देखो बेटे, तुम्हें इस मामले में खुद फैसला करना होगा। बहरहाल, मुझे लगता है कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है।।
“आख़िर हफ्ते भर तक विचार करने के बाद उस लड़के ने टीचर को वही निबंध ज्यों का त्यों दे दिया और कहा, “आप अपने एफ़ ग्रेड को । क़ायम रखें और मैं अपने सपने को क़ायम रखुँगा।”
मॉन्टी समूह की तरफ़ मुड़कर आगे बोला, “मैं आपको यह कहानी इसलिए बता रहा हूँ, क्योंकि आप इस समय मेरे 200 एकड़ के घोड़ी की अँच के बीच में बने मेरे 4,000 वर्ग फुट के इस मकान में बैठे हैं। मन उस स्कल के निबंध को मढ़वाकर अँगीठी के ऊपर टाँग रखा है। उत्त” आगे कहा, “इस कहानी का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि दो साल १ वही स्कूल टीचर 30 बच्चों को लेकर मेरे अँच पर एक सप्ताह रुक आए। जाते समय वे बोले, “देखो मॉन्टी, मैं तुम्हें अब यह बात बतात हैं। जब मैं तुम्हारा टीचर था, तो एक तरह से मैं सपने चुराने का करता था। उन वर्षों में मैंने बहुत से बच्चों के सपने चुराए। साभा पर्ने चुराने का काम चुराए। सौभाग्य से तुममें इतना संकल्प था कि तुमने मुझे अपना सपना नहीं चुराने दिया।”
कभी किसी को अपने सपने न चुराने दें। अपने दिल की बात सुनें, चाहे परिणाम जो भी हो।
जैक कैनफ़ील्ड
I have a friend named Monty Roberts who owns a horse ranch in San Ysidro. He has let me use his house to put on fund-raising events to raise money for youth at risk programs.
The last time I was there he introduced me by saying, “I want to tell you why I let Jack use my house. It all goes back to a story about a young man who was the son of an itinerant horse trainer who would go from stable to stable, race track to race track, farm to farm and ranch to ranch, training horses. As a result, the boy’s high school career was continually
interrupted. When he was a senior, he was asked to write a paper about what he wanted to be and do when he grew up.
“That night he wrote a seven-page paper describing his goal of someday owning a horse ranch. He wrote about his dream in great detail and he even drew a diagram of a 200-acre ranch, showing the location of all the buildings, the stables and the track. Then he drew a detailed floor plan for a 4,000square-foot house that would sit on the 200-acre dream ranch.
“He put a great deal of his heart into the project and the next day he handed it in to his teacher. Two days later he received his paper back. On the front page was a large red F with a note that read, ‘See me after class.’
“The boy with the dream went to see the teacher after class and asked, ‘Why did I receive an F?’
‘The teacher said, ‘This is an unrealistic dream for a young boy like you. You have no money. You come from an itinerant family. You have no resources. Owning a horse ranch requires a lot of money. You have to buy the land. You have to pay for the original breeding stock and later you’ll have to pay large stud fees. There’s no way you could ever do it.’ Then the teacher added, If you will rewrite this paper with a more realistic goal, I will reconsider your grade.’
The boy went home and thought about it long and hard. He asked his father what he should do. His father said, ‘Look, son, you have to make up your own mind on this. However, I think it is a very important decision for you.’
Finally, after sitting with it for a week, the boy turned in the same paper, making no changes at all. He stated, ‘You can keep the F and I’ll keep my dream.’
Monty then turned to the assembled group and said, “I tell you this story because you are sitting in my 4,000-square-foot house in the middle of my 200-acre horse ranch. I still have that school paper framed over the fireplace.” He added, ‘The best part of the story is that two summers ago that same schoolteacher brought 30 kids to camp out on my ranch for a
week. When the teacher was leaving, he said, ‘Look, Monty, I can tell you this now. When I was your teacher, I was something of a dream stealer. During those years I stole a lot of kids’ dreams. Fortunately, you had enough gumption not to give up on yours.'”
Don’t let anyone steal your dreams. Follow your heart, no matter what.
Jack Canfield
हमारे जीवन का हर पल ब्रह्मांड का एक नया और अनूठा पल है, जो दोबारा लौटकर नहीं आएगा… और हम अपने बच्चों को क्या सिखाते हैं ? हम उन्हें सिखाते हैं कि दो और दो चार होते हैं और पेरिस फ्रांस की राजधानी है।
हम उन्हें यह कब सिखाएँगे कि वे कितने अनूठे हैं ?
हमें उनमें से हर एक से कहना चाहिए : क्या तुम जानते हो कि तुम क्या हो ? तुम एक चमत्कार हो। तुम अद्वितीय हो। आज से पहले तुम जैसा बच्चा कभी पैदा नहीं हुआ। तुम्हारे जैसे पैर, हाथ, उँगलियाँ, चाल आज तक किसी की नहीं हुई।
तुम शेक्सपियर, माइकलएंजेलो, बीथोवन बन सकते हो। तुममें यह मता है कि तुम कुछ भी बन सकते हो। हाँ, तुम एक चमत्कार हो। और व तुम बड़े हो जाओगे, तो तुम्हारे साथ कोई और भी होगा, जो तुम्हारी ही तरह एक चमत्कार होगा!
आप सबको – हम सबको – मेहनत करनी चाहिए, ताकि यह दुनिया बच्चों के रहने के क़ाबिल बन सके।
पाब्लो कैसल्स
Each second we live is a new and unique moment of the universe, a moment that will never be again…. And what do we teach our children? We teach them that two and two make four, and that Paris is the capital of France.
When will we also teach them what they are? We should say to each of them: Do you know what you are? You are a
marvel. You are unique. In all the years that have passed, there has never been another child like you. Your legs, your arms, your clever fingers, the way you move.
You may become a Shakespeare, a Michelangelo, a Beethoven. You have the capacity for anything. Yes, you are a marvel. And when you grow up, can you then have another who is, like you, a marvel?
You must work—we must all work—to make the world worthy of its children.
Pablo Casals