नेपोलियन ने जब कभी भी किसी छावनी में जाना होता था तो वह पहले, अपने गुप्तचरों से, एक बहादुर फौजी के बारे में, उसके जन्म स्थान के बारे में, उसके माता पिता व उसका परिवार, उसकी ओर से लड़ी जा चुकी लड़ाइयां, जीते हुए इनाम इन सब की पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त कर लेता था| जब वह छावनी में परेड की सलामी लेता था तो उस फौजी के पास जाकर बोलता था, “तो आप यहां हो? आपको याद होगा, हम उस लड़ाई में इकट्ठे लड़ रहे थे| मुझे आपकी बहादुरी याद है| आपके पिताजी की टांग का अब क्या हाल है? आप के जीते हुए इनाम मुझे आज भी याद है| आज मैं आपको आपकी बहादुरी का एक विशेष इनाम देने आया हूं|” यह सब कहने के बाद, नेपोलियन वह इनाम, उसकी छाती पर लगा देता था| नेपोलियन की याद शक्ति के कई किस्से मशहूर थे| नेपोलियन के इस व्यवहार का, उसके फौजियों पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ता था| क्योंकि हर फौजी यही समझता था के बादशाह हर फौजी को निजी तौर पर जानता है| इस तरह हर फौजी नेपोलियन की नजरों में महान बनने के लिए, हर क्षेत्र में अपनी जान की बाजी लगा देता था| इसीलिए कहा जाता था कि जिस मैदान-ए-जंग में नेपोलियन खुद हाजिर हुआ करता था, वहां 75 हज़ार फौजियों की जरूरत पड़ती थी|
नरेंद्र सिंह कपूर
पुस्तक: खिड़कियां