डर

by Gurwinder

सरदार की इकलौती लड़की कुछ समय पहले गुजर गई थी अब उसका दिल छोटे-छोटे बच्चों खासकर लड़कियों की तरफ प्यार ढूंढता रहता था| आज उसके खेत में मजदूर और मजदूरनें गेहूं काट रही थी| 4-5 एकड़ के बीच सिर्फ एक ही वृक्ष था जिसके नीचे सरदार आराम कर रहा था| एक मजदूरन का एक छोटा सा लड़का और लड़की वृक्ष की छाया की तरफ बढ़ते परंतु सरदार के डर के कारण वापस चले जाते|
परंतु बच्चों को देखकर उसका दिल उनके साथ बातें करने को मचल रहा था| एक बार बच्चे पास आए तो सरदार ने उनको बुला लिया और वह डरते-डरते सरदार के पास आए|
” लड़की तुम्हारा नाम क्या है?”
” मीता”
” हमारी लड़की बनोगी?
” अपनी मां से पूछ ले और मेरी लड़की बन जा|”
बच्चों का डर दूर हो गया था| वह सरदार के साथ बातें कर रहे थे| अब समय के चलते सरदार को नींद आने लगी| परंतु वह बच्चे उसके डांटने पर भी वहां से नहीं गए| वह उसके पेट पर लेट कर खेल रहे थे|

हरचंद सिंह वारिग

You may also like