घोड़ी

by Gurwinder

पाखंडी बाबा का दरबार लगा था, औरतें पास बैठी थी, और पूछ पूछ कर जा रही थी|
एक बुडी माता ने आकर बाबा जी के पांव पर 5 रुपए का नोट रखा और विनती की “बाबा जी, हमारी घोड़ी चोरी हो गई है, कुछ पता नहीं चल रहा|
बाबा ने आंखें बंद कर सर्च की और बोला “माता हमसे कुछ नहीं छिपा, घोड़ी तुम्हारे शरीक ने ही चोरी की है|
माता- उजड़ जाएं, कुछ ना रहे शरीको का, शरीक तो मिट्टी का भी अच्छा नहीं होता| परंतु बाबा जी घोड़ी कहां पर है?

बाबा की सर्च अभी डिस्कनेक्ट नहीं हुई थी, बोला माता घोड़ी तुम्हारे शरीकों ने मालवे के सरदार को सस्ते दामों में बेच दी और उन्होंने वह घोड़ी आगे अपनी लड़की को दहेज में दे दी, उनका जमाई बोला, मुझे तो इसी घोड़ी पर बैठकर गांव जाना है, इसलिए अब थोड़ा कठिन है|

माता आगे से भड़क पड़ी- ओ बेवकूफ, तुम्हें बाबा किस कंजर ने बना दिया, हमारी तो सेवइया बनाने वाली घोड़ी चोरी हुई है, यहां पकड़ा मेरे 5 रुपए| पीछे बैठे चेलों को पैरों की पड़ गई, उन्होंने स्पीकर में बोल दिया, चलो भक्तों आने वाले वीरवार को आना, बाबा जी अब आराम करेंगे|
स्रोत: व्हाट्सएप

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