इज़्ज़त

by Gurwinder

मनदीप कालेज से घर की तरफ जा रही थी| आज उसकी सहेली अपनी मौसी की लड़की की शादी मैं गई हुई थी| इसलिए मनदीप अकेली जा रही थी| वह घर की तरफ आ रही थी| बहुत गर्मी थी| रास्ता सुनसान था|

मनदीप को ऐसे प्रतीत हुआ जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है| अपने पीछे मुड़कर देखा| दो लड़के गंदा सा गाना गुनगुनाते हुए आ रहे थे| उनकी यह हरकतें देखकर मनदीप ने जल्दी से एक खाली मैसेज कर दिया और बेल दे दी|

वह लड़के उसके साथ छेड़खानी करने लगे| उसने दोनों को एक-एक चांटा लगा दिया| मनदीप ने अपनी टांगो और हाथों के साथ मार-मार कर उन लड़कों का बुरा हाल कर दिया| तब तक पुलिस की जीप वहां पहुंच गई थी| वह दोनों भागने लगे| मनदीप ने 1 को लात मार कर गिरा दिया| उसी समय थानेदार ने बोला,”शाबाश तुम्हारे जैसी बहादुर बेटियां होनी चाहिए| वाह! वाह! कमाल कर दी!”

अंकल जी! मेरी दादी ने मुझे लड़कों की तरह पाला पोसा है| उन्होंने मुझे दूध मक्खन के प्यार के साथ बड़ा किया है| मुझे कराटो की ट्रेनिंग दिलवाई है| मुझे कालेज में दाखिला चाहिए था| दादी जी बोलने लगे जमाना बहुत खराब है| उन्होंने सारी बातें समझाई| उन्होंने बताया” अगर कोई तुम्हें बेवजह तंग करें तो उसे सीधा कर देना|”
पुलिस वाले ने दोनों लड़कों को हथकड़ी लगा दी| पुलिस वाले ने बोला “तुम्हारे जैसी बहादुर लड़कियां अपनी सुरक्षा खुद कर सके तो इज्जत लूटने की घटनाएं कम हो जाएंगी|

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